computer hardware क्या है? और कितने प्रकार के है।
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computer hardware क्या है? और कितने प्रकार के है। |
हार्डवेयर क्या है? आज की पोस्ट में आप जानेंगे कि हार्डवेयर क्या है और कितने प्रकार के होते हैं? यदि आप कंप्यूटर में रुचि रखते हैं तो आपने इन दो शब्दों हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बारे में सुना होगा। क्योंकि यह दोनों मुख्य कंप्यूटर पार्ट्स हैं इनके बिना कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नहीं है। यह ठीक वैसा ही है जैसे बिना शरीर और दिमाग वाला व्यक्ति। इसीलिए अगर आप कंप्यूटर के इन हिस्सों की कार्यक्षमता को समझते हैं तो आप कंप्यूटर की बुनियादी समस्या का आसानी से निवारण कर सकते हैं।
हार्डवेयर और उसके कार्य की परिभाषा सॉफ्टवेयर से पूरी तरह से अलग है। लेकिन यह भी सच है कि यह एक दूसरे के बिना किसी काम के नहीं है। दरअसल हार्डवेयर कंप्यूटर एक तरह का काम करता है और सॉफ्टवेयर दूसरे तरह का करता है इसलिए एक के अभाव में दूसरा किसी काम का नहीं रह जाता है। तो चलिए इस पोस्ट को शुरू करते हैं और उदाहरणों से जानते हैं, हार्डवेयर क्या है।
हार्डवेयर और उसके कार्य की परिभाषा सॉफ्टवेयर से पूरी तरह से अलग है। लेकिन यह भी सच है कि यह एक दूसरे के बिना किसी काम के नहीं है। दरअसल हार्डवेयर कंप्यूटर एक तरह का काम करता है और सॉफ्टवेयर दूसरे तरह का करता है इसलिए एक के अभाव में दूसरा किसी काम का नहीं रह जाता है। तो चलिए इस पोस्ट को शुरू करते हैं और उदाहरणों से जानते हैं, हार्डवेयर क्या है।
हार्डवेयर क्या है
कंप्यूटर के वे भाग जिन्हें हम देख सकते हैं और छू सकते हैं हार्डवेयर कहलाता हैं। ये कंप्यूटर के भौतिक भाग हैं। जिसके साथ हमारे कंप्यूटर की बॉडी बनी है।
सॉफ्टवेयर इन हार्डवेयर में जान डालता हैं और उसे काम करने लायक बनाता हैं. तब जाकर हमे एक जीवित तथा काम करने योग्य कम्प्यूटर मशीन प्राप्त होती हैं.
कंप्यूटर हार्डवेयर का सबसे अच्छा उदाहरण मॉनिटर है। यह वह उपकरण है जिस पर आप इस ट्यूटोरियल को पढ़ रहे हैं। क्योंकि स्क्रीन भी एक प्रकार का हार्डवेयर है जो आउटपुट डिवाइस की श्रेणी में गिना जाता है।
कंप्यूटर के भौतिक तत्व जिन्हें हम देख सकते हैं और छू सकते हैं, उन्हें "हार्डवेयर" कहा जाता है। उदाहरण के लिए कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर, मदरबोर्ड, रैम, आदि सभी कंप्यूटर हार्डवेयर हैं। वास्तव में हार्डवेयर एक सामूहिक शब्द है जिसका उपयोग कंप्यूटर भागों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। हार्डवेयर को आमतौर पर किसी भी कमांड या निर्देशों को निष्पादित(Executed) करने के लिए सॉफ्टवेयर द्वारा निर्देशित किया जाता है।
हार्डवेयर (HW) के बिना कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नही है. क्योंकि इनके मिलने से ही एक कंप्यूटर पूरा हो पाता है इसका एक सरल उदाहरण यह है कि जिस स्क्रीन में आप अभी यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, चाहे वह कंप्यूटर हो या मोबाइल फोन, उसकी स्क्रीन हार्डवेयर है।
कंप्यूटर के वे भाग जिन्हें हम देख सकते हैं और छू सकते हैं हार्डवेयर कहलाता हैं। ये कंप्यूटर के भौतिक भाग हैं। जिसके साथ हमारे कंप्यूटर की बॉडी बनी है।
सॉफ्टवेयर इन हार्डवेयर में जान डालता हैं और उसे काम करने लायक बनाता हैं. तब जाकर हमे एक जीवित तथा काम करने योग्य कम्प्यूटर मशीन प्राप्त होती हैं.
कंप्यूटर हार्डवेयर का सबसे अच्छा उदाहरण मॉनिटर है। यह वह उपकरण है जिस पर आप इस ट्यूटोरियल को पढ़ रहे हैं। क्योंकि स्क्रीन भी एक प्रकार का हार्डवेयर है जो आउटपुट डिवाइस की श्रेणी में गिना जाता है।
कंप्यूटर के भौतिक तत्व जिन्हें हम देख सकते हैं और छू सकते हैं, उन्हें "हार्डवेयर" कहा जाता है। उदाहरण के लिए कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, प्रिंटर, मदरबोर्ड, रैम, आदि सभी कंप्यूटर हार्डवेयर हैं। वास्तव में हार्डवेयर एक सामूहिक शब्द है जिसका उपयोग कंप्यूटर भागों का वर्णन करने के लिए किया जाता है। हार्डवेयर को आमतौर पर किसी भी कमांड या निर्देशों को निष्पादित(Executed) करने के लिए सॉफ्टवेयर द्वारा निर्देशित किया जाता है।
हार्डवेयर (HW) के बिना कंप्यूटर का कोई अस्तित्व नही है. क्योंकि इनके मिलने से ही एक कंप्यूटर पूरा हो पाता है इसका एक सरल उदाहरण यह है कि जिस स्क्रीन में आप अभी यह पोस्ट पढ़ रहे हैं, चाहे वह कंप्यूटर हो या मोबाइल फोन, उसकी स्क्रीन हार्डवेयर है।
कंप्यूट हार्डवेयर के प्रकार - Type of Compute Hardware in Hindi?
मॉनिटर - Monitor
मॉनिटर एक कंप्यूटर का प्राथमिक आउटपुट डिवाइस है। जो वीडियो इमेज और टेक्स्ट को प्रदर्शित करता है। हम इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी कहते हैं। मॉनिटर में दो मुख्य प्रकार के एलसीडी और सीआरटी हैं। हालाँकि आजकल LCD Monitor का इस्तेमाल Computer Hardware के रूप में किया जाता है।
एक "मॉनिटर" तीन भागों को मिलाकर बनाया जाता है, जिसमें एक डिस्प्ले, कवच, सर्किटरी और बिजली की आपूर्ति शामिल है। जब भी हम कीबोर्ड के माध्यम से कोई शब्द टाइप करते हैं या माउस की मदद से वीडियो चलाते हैं। इसका पहले अनुरोध कंप्यूटर पर स्थापित वीडियो कार्ड पर जाता है।
यह वीडियो कार्ड ग्राफिक्स जानकारी उत्पन्न करता है और इसे मॉनिटर पर भेजता है जिसके बाद चित्र या वीडियो आपको दिखाता है। पुराने प्रकार के कंप्यूटर मॉनिटर को कैथोड रे ट्यूब (CRT) का उपयोग करके बनाया गया था। जिसके कारण वे बहुत भारी थे।
आजकल, अधिकांश मॉनिटर डिस्प्ले फ्लैट-पैनल डिस्प्ले तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। यही कारण है कि आज के कंप्यूटर मॉनिटर काफी पतले हैं। वे टीवी से काफी मिलते-जुलते हैं। लेकिन टीवी की तुलना में मॉनिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन में ग्राफिक्स प्रदर्शित करता है।
अगर हम उनके आकार के बारे में बात करे तो अधिकांश मॉनिटर का आकार 17 इंच से 24 इंच तक होता है। हालांकि इससे ज्यादा भी होते है। नीचे दिए गए कुछ प्रमुख कारकों का उपयोग करके किसी भी वीडियो डिस्प्ले की परफॉरमेंस का आकलन अर्थात मेज़रमेंट किया जा सकता है:

monitor
(1) Aspect ratio:- यह स्क्रीन की vertical और horizontal length यानी लंबाई और चौड़ाई का वर्णन करता है। उदाहरण के लिए वाइडस्क्रीन एलसीडी मॉनिटर का aspect ratio होता है 16:9.
(2) Dot Pitch:- यह हमें बताता है कि एक स्क्रीन एक तस्वीर को कितना तेज प्रदर्शित करेगी। यह प्रत्येक पिक्सेल के बीच प्रत्येक वर्ग इंच की दूरी है। ये दूरी जितनी कम होगी, एक मॉनिटर में उतनी ही तेज और साफ तस्वीर दिखाई देगी।
(3) Resolution:- कंप्यूटर स्क्रीन पर पिक्सेल की संख्या रिज़ॉल्यूशन द्वारा डेस्क्रिबे किया जाता है। डिस्प्ले पर इमेज का sharpness काफी हद तक पिक्सेल की संख्या पर निर्भर करता है।
(4) Size:- किसी डिस्प्ले का उतना स्पेस जो किसी इमेज, वीडियो या वर्किंग स्पेस को प्रदर्शित करने के लिए उपलब्ध है। सरल भाषा में एक मॉनिटर का केवल स्क्रीन भाग इसके द्वारा मापा जाता है।
मॉनिटर एक कंप्यूटर का प्राथमिक आउटपुट डिवाइस है। जो वीडियो इमेज और टेक्स्ट को प्रदर्शित करता है। हम इसे विजुअल डिस्प्ले यूनिट (VDU) भी कहते हैं। मॉनिटर में दो मुख्य प्रकार के एलसीडी और सीआरटी हैं। हालाँकि आजकल LCD Monitor का इस्तेमाल Computer Hardware के रूप में किया जाता है।
एक "मॉनिटर" तीन भागों को मिलाकर बनाया जाता है, जिसमें एक डिस्प्ले, कवच, सर्किटरी और बिजली की आपूर्ति शामिल है। जब भी हम कीबोर्ड के माध्यम से कोई शब्द टाइप करते हैं या माउस की मदद से वीडियो चलाते हैं। इसका पहले अनुरोध कंप्यूटर पर स्थापित वीडियो कार्ड पर जाता है।
यह वीडियो कार्ड ग्राफिक्स जानकारी उत्पन्न करता है और इसे मॉनिटर पर भेजता है जिसके बाद चित्र या वीडियो आपको दिखाता है। पुराने प्रकार के कंप्यूटर मॉनिटर को कैथोड रे ट्यूब (CRT) का उपयोग करके बनाया गया था। जिसके कारण वे बहुत भारी थे।
आजकल, अधिकांश मॉनिटर डिस्प्ले फ्लैट-पैनल डिस्प्ले तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। यही कारण है कि आज के कंप्यूटर मॉनिटर काफी पतले हैं। वे टीवी से काफी मिलते-जुलते हैं। लेकिन टीवी की तुलना में मॉनिटर उच्च रिज़ॉल्यूशन में ग्राफिक्स प्रदर्शित करता है।
अगर हम उनके आकार के बारे में बात करे तो अधिकांश मॉनिटर का आकार 17 इंच से 24 इंच तक होता है। हालांकि इससे ज्यादा भी होते है। नीचे दिए गए कुछ प्रमुख कारकों का उपयोग करके किसी भी वीडियो डिस्प्ले की परफॉरमेंस का आकलन अर्थात मेज़रमेंट किया जा सकता है:
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monitor |
(1) Aspect ratio:- यह स्क्रीन की vertical और horizontal length यानी लंबाई और चौड़ाई का वर्णन करता है। उदाहरण के लिए वाइडस्क्रीन एलसीडी मॉनिटर का aspect ratio होता है 16:9.
(2) Dot Pitch:- यह हमें बताता है कि एक स्क्रीन एक तस्वीर को कितना तेज प्रदर्शित करेगी। यह प्रत्येक पिक्सेल के बीच प्रत्येक वर्ग इंच की दूरी है। ये दूरी जितनी कम होगी, एक मॉनिटर में उतनी ही तेज और साफ तस्वीर दिखाई देगी।
(3) Resolution:- कंप्यूटर स्क्रीन पर पिक्सेल की संख्या रिज़ॉल्यूशन द्वारा डेस्क्रिबे किया जाता है। डिस्प्ले पर इमेज का sharpness काफी हद तक पिक्सेल की संख्या पर निर्भर करता है।
(4) Size:- किसी डिस्प्ले का उतना स्पेस जो किसी इमेज, वीडियो या वर्किंग स्पेस को प्रदर्शित करने के लिए उपलब्ध है। सरल भाषा में एक मॉनिटर का केवल स्क्रीन भाग इसके द्वारा मापा जाता है।
कीबोर्ड - keyboard
कीबोर्ड एक प्राथमिक इनपुट डिवाइस है, जिसका उपयोग कंप्यूटर में टेक्स्ट दर्ज करने के लिए किया जाता है। यह उपयोगकर्ता को कंप्यूटर में डेटा इनपुट करने में सक्षम बनाता है। एक कंप्यूटर कीबोर्ड में अक्षर, संख्या और विशेष वर्णों के साथ-साथ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए बटन होते हैं। जिसे हम कीबोर्ड KEY कहते हैं। इसके साथ ही एक कंप्यूटर माउस भी प्रमुख इनपुट डिवाइसों में से एक है।
एक standard कीबोर्ड में लगभग 101 से 104 बटन होते हैं। कीबोर्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए इसमें PS / 2 या USB केबल दिया गया है। जब भी हम एक key को प्रेस करते हैं तो कंप्यूटर इन केबलों के माध्यम से सिंगल प्राप्त करता है। जो उसे बताता है कि स्क्रीन पर कौन से letters, numbers, character या symbol को दिखाना है।
हालाँकि कंप्यूटर कीबोर्ड का डिज़ाइन अभी भी टाइपराइटर जैसा ही है। लेकिन इन कीबोर्ड पर कीज़ की संख्या टाइपराइटर की तुलना में अधिक है। अगर हम कीबोर्ड के लेआउट के बारे में बात करे तो इसके कई प्रकार हैं और उनमें से सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला QWERTY कीबोर्ड है। जिसके पहले 6 अक्षर QWERT और Y होते है।
कीबोर्ड एक प्राथमिक इनपुट डिवाइस है, जिसका उपयोग कंप्यूटर में टेक्स्ट दर्ज करने के लिए किया जाता है। यह उपयोगकर्ता को कंप्यूटर में डेटा इनपुट करने में सक्षम बनाता है। एक कंप्यूटर कीबोर्ड में अक्षर, संख्या और विशेष वर्णों के साथ-साथ विशिष्ट कार्यों को करने के लिए बटन होते हैं। जिसे हम कीबोर्ड KEY कहते हैं। इसके साथ ही एक कंप्यूटर माउस भी प्रमुख इनपुट डिवाइसों में से एक है।
एक standard कीबोर्ड में लगभग 101 से 104 बटन होते हैं। कीबोर्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए इसमें PS / 2 या USB केबल दिया गया है। जब भी हम एक key को प्रेस करते हैं तो कंप्यूटर इन केबलों के माध्यम से सिंगल प्राप्त करता है। जो उसे बताता है कि स्क्रीन पर कौन से letters, numbers, character या symbol को दिखाना है।
हालाँकि कंप्यूटर कीबोर्ड का डिज़ाइन अभी भी टाइपराइटर जैसा ही है। लेकिन इन कीबोर्ड पर कीज़ की संख्या टाइपराइटर की तुलना में अधिक है। अगर हम कीबोर्ड के लेआउट के बारे में बात करे तो इसके कई प्रकार हैं और उनमें से सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला QWERTY कीबोर्ड है। जिसके पहले 6 अक्षर QWERT और Y होते है।
माउस - Mouse
माउस एक कंप्यूटर हार्डवेयर है जिसे हम इनपुट डिवाइस भी कहते हैं। यह डिस्प्ले स्क्रीन पर कर्सर या पॉइंटर की गति को नियंत्रित करता है। आज कंप्यूटर में Mouse एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है। यह केबल या वायरलेस द्वारा कंप्यूटर से जुड़ा होता है।

mouse
माउस एक हैंडहेल्ड इनपुट डिवाइस है, जिसे डेस्क या माउस पैड पर रखकर उपयोग किया जाता है। माउस में आमतौर पर दो बटन (बाएं और दाएं) और एक स्क्रॉल व्हील होता है। इन बटनों का उपयोग करके, आप स्क्रीन पर पाठ का चयन या स्थानांतरित कर सकते हैं, वही स्क्रॉल व्हील के माध्यम से एक पृष्ठ को ऊपर और नीचे किया जा सकता है।
"माउस" का आविष्कार 1964 में डगलस एंगेलबर्ट ने किया था। यह एक लकड़ी के बक्से के रूप में डिजाइन किया गया था जिसमें एक सर्किट बोर्ड और दो धातु के पहिये शामिल थे। इस माउस का पहली बार ज़ेरॉक्स अल्टो कंप्यूटर के साथ उपयोग किया गया था। इससे पहले कोई माउस नहीं था लेकिन कीबोर्ड पर कमांड टाइप करके डेटा इनपुट किया जाता था।
सन 1972 में Ball Mouse ने इसका स्थान लिया जिसमे ball से wheels को replace कर दिया गया। इसे बिल इंग्लिश ने बनाया था। इसका फायदा यह हुआ कि अब Mouse किसी भी दिशा में घूम सकते थे। कुछ साल बाद स्टीवन किर्श ने ऑप्टिकल माउस नामक एक नई तकनीक के साथ माउस को पेश किया।
यह मॉडल माउस की गति का पता लगाने के लिए प्रकाश का उपयोग करता है। अधिकांश आधुनिक कंप्यूटरों में हम प्रकाशिकी मॉडल के माउस का उपयोग करते हैं।
माउस एक कंप्यूटर हार्डवेयर है जिसे हम इनपुट डिवाइस भी कहते हैं। यह डिस्प्ले स्क्रीन पर कर्सर या पॉइंटर की गति को नियंत्रित करता है। आज कंप्यूटर में Mouse एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है। यह केबल या वायरलेस द्वारा कंप्यूटर से जुड़ा होता है।
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माउस एक हैंडहेल्ड इनपुट डिवाइस है, जिसे डेस्क या माउस पैड पर रखकर उपयोग किया जाता है। माउस में आमतौर पर दो बटन (बाएं और दाएं) और एक स्क्रॉल व्हील होता है। इन बटनों का उपयोग करके, आप स्क्रीन पर पाठ का चयन या स्थानांतरित कर सकते हैं, वही स्क्रॉल व्हील के माध्यम से एक पृष्ठ को ऊपर और नीचे किया जा सकता है।
"माउस" का आविष्कार 1964 में डगलस एंगेलबर्ट ने किया था। यह एक लकड़ी के बक्से के रूप में डिजाइन किया गया था जिसमें एक सर्किट बोर्ड और दो धातु के पहिये शामिल थे। इस माउस का पहली बार ज़ेरॉक्स अल्टो कंप्यूटर के साथ उपयोग किया गया था। इससे पहले कोई माउस नहीं था लेकिन कीबोर्ड पर कमांड टाइप करके डेटा इनपुट किया जाता था।
सन 1972 में Ball Mouse ने इसका स्थान लिया जिसमे ball से wheels को replace कर दिया गया। इसे बिल इंग्लिश ने बनाया था। इसका फायदा यह हुआ कि अब Mouse किसी भी दिशा में घूम सकते थे। कुछ साल बाद स्टीवन किर्श ने ऑप्टिकल माउस नामक एक नई तकनीक के साथ माउस को पेश किया।
यह मॉडल माउस की गति का पता लगाने के लिए प्रकाश का उपयोग करता है। अधिकांश आधुनिक कंप्यूटरों में हम प्रकाशिकी मॉडल के माउस का उपयोग करते हैं।
स्कैनर - Scanner
स्कैनर एक इनपुट डिवाइस है। कंप्यूटर डेटा या सूचना को डिजिटल में लेता है। इसलिए इमेज, डॉक्यूमेंट, टेक्स्ट इत्यादि को स्कैनर डिजिटल प्रारूप में परिवर्तित कर कंप्यूटर में सेव किया जाता है। स्कैनर की मदद से डेटा अपलोड करना आसान है। उदाहरण के लिये मार्क शीट को ई-मेल करने के लिए आप जानते हैं कि कंप्यूटर केवल डिजिटल प्रारूप(format) को समझता है। इसलिए मार्कशीट डिजिटल फॉर्मेट में होनी चाहिए। हार्ड कॉपी को डिजिटल में बदलने के लिए स्कैनर की आवश्यकता होती है।
कंप्यूटर में मौजूद "सॉफ्ट कॉपी" को "हार्ड कॉपी" में प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर होता है। इसके विपरीत, कंप्यूटर में "हार्ड कॉपी" को "सॉफ्ट कॉपी" में सेव करने के लिए एक स्कैनर होता है। स्कैनर पेपर पर प्रिंट या लिखे हुए डाटा को कंप्यूटर में इमेज के रूप में सेव करता है। यह किसी भी प्रकार के प्रिंटेड पेज या चित्र को स्कैन कर सकता है। चाहे इमेज कलर हो या ब्लैक एंड व्हाइट।

scanner
स्कैनर को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए एक USB केबल की आवश्यकता होती है। स्कैनर BlueTooth के माध्यम से वायरलेस तरीके से कनेक्ट हो सकता है। पावर केबल का उपयोग स्कैनर को पावर देने के लिए किया जाता है। स्कैनर का आविष्कार रे कुर्ज़वील ने 1957 में किया था। कई कंपनियाँ स्कैनर बनाती हैं, उनमें hp, Epson मुख्य है।
कैसे काम करता है स्कैनर:- स्कैनर को काम करने के लिए कंप्यूटर में स्कैनर का ड्राइवर सॉफ्टवेयर होना चाहिए। हार्ड कॉपी को स्कैनर में रखें स्कैनर हार्ड कॉपी स्कैन करता है। स्कैन किए गए डेटा को कंप्यूटर में सेव जाता है। स्कैन की गई इमेज को एडिट करना भी आसान है।
स्कैनर एक इनपुट डिवाइस है। कंप्यूटर डेटा या सूचना को डिजिटल में लेता है। इसलिए इमेज, डॉक्यूमेंट, टेक्स्ट इत्यादि को स्कैनर डिजिटल प्रारूप में परिवर्तित कर कंप्यूटर में सेव किया जाता है। स्कैनर की मदद से डेटा अपलोड करना आसान है। उदाहरण के लिये मार्क शीट को ई-मेल करने के लिए आप जानते हैं कि कंप्यूटर केवल डिजिटल प्रारूप(format) को समझता है। इसलिए मार्कशीट डिजिटल फॉर्मेट में होनी चाहिए। हार्ड कॉपी को डिजिटल में बदलने के लिए स्कैनर की आवश्यकता होती है।
कंप्यूटर में मौजूद "सॉफ्ट कॉपी" को "हार्ड कॉपी" में प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर होता है। इसके विपरीत, कंप्यूटर में "हार्ड कॉपी" को "सॉफ्ट कॉपी" में सेव करने के लिए एक स्कैनर होता है। स्कैनर पेपर पर प्रिंट या लिखे हुए डाटा को कंप्यूटर में इमेज के रूप में सेव करता है। यह किसी भी प्रकार के प्रिंटेड पेज या चित्र को स्कैन कर सकता है। चाहे इमेज कलर हो या ब्लैक एंड व्हाइट।
स्कैनर को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए एक USB केबल की आवश्यकता होती है। स्कैनर BlueTooth के माध्यम से वायरलेस तरीके से कनेक्ट हो सकता है। पावर केबल का उपयोग स्कैनर को पावर देने के लिए किया जाता है। स्कैनर का आविष्कार रे कुर्ज़वील ने 1957 में किया था। कई कंपनियाँ स्कैनर बनाती हैं, उनमें hp, Epson मुख्य है।
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scanner |
कैसे काम करता है स्कैनर:- स्कैनर को काम करने के लिए कंप्यूटर में स्कैनर का ड्राइवर सॉफ्टवेयर होना चाहिए। हार्ड कॉपी को स्कैनर में रखें स्कैनर हार्ड कॉपी स्कैन करता है। स्कैन किए गए डेटा को कंप्यूटर में सेव जाता है। स्कैन की गई इमेज को एडिट करना भी आसान है।
स्पीकर - Speaker
इसके इस्तेमाल से हमें किसी भी तरह की आवाज सुनाई देती है। स्पीकर ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत करता है। यह एक आउटपुट और हार्डवेयर डिवाइस है। जिसमें कंप्यूटर से ध्वनि उत्पन्न होती है।
साउंड कार्ड कंप्यूटर का एक कॉम्पोनेन्ट होता है यह कॉम्पोनेन्ट कंप्यूटर स्पीकर से जो Sound Produce होता है उसे जनरेट करता है। इन्हें कंप्यूटर के साथ जोड़कर आप कंप्यूटर की ऑडियो साउंड सुन सकते है।

speaker
कंप्यूटर से जुड़े सीडी / डीवीडी में सहेजे गए ऑडियो उनसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल लेते हैं और उन्हें ऑडियो में परिवर्तित करते हैं। स्पीकर के काम करने का तरीका तीन चीजों के आधार पर निर्धारित किया जाता है:
1- frequency
2- thd (total harmonic distortion)
3- watts
स्पीकर कैसे काम करता है
स्पीकर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विद्युत चुम्बकीय तरंग को ध्वनि तरंग में बदलना है। स्पीकर में सामने की तरफ एक गोल आकार का कोन होता है जो कागज, प्लास्टिक या किसी हल्की धातु से बना होता है। इसके पीछे एक लोहे का कुंडल लगा हुआ होता है। यह स्थायी चुंबक के ठीक आगे है।
विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र तब उत्पन्न होता है जब स्पीकर का तार एम्पलीफायर से जुड़ा होता है और उसे शक्ति दी जाती है। जिसके साथ वह coil को अपनी ओर खींचता है। और एम्पलीफायर के संकेत के अनुसार इसे बार-बार ड्रॉप करता है। जो कोइल के कंपन से ध्वनि उत्पन्न करता है।
इसके इस्तेमाल से हमें किसी भी तरह की आवाज सुनाई देती है। स्पीकर ध्वनि के रूप में आउटपुट की सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत करता है। यह एक आउटपुट और हार्डवेयर डिवाइस है। जिसमें कंप्यूटर से ध्वनि उत्पन्न होती है।
साउंड कार्ड कंप्यूटर का एक कॉम्पोनेन्ट होता है यह कॉम्पोनेन्ट कंप्यूटर स्पीकर से जो Sound Produce होता है उसे जनरेट करता है। इन्हें कंप्यूटर के साथ जोड़कर आप कंप्यूटर की ऑडियो साउंड सुन सकते है।
कंप्यूटर से जुड़े सीडी / डीवीडी में सहेजे गए ऑडियो उनसे इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल लेते हैं और उन्हें ऑडियो में परिवर्तित करते हैं। स्पीकर के काम करने का तरीका तीन चीजों के आधार पर निर्धारित किया जाता है:
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1- frequency
2- thd (total harmonic distortion)
3- watts
स्पीकर कैसे काम करता है
स्पीकर का सबसे महत्वपूर्ण कार्य विद्युत चुम्बकीय तरंग को ध्वनि तरंग में बदलना है। स्पीकर में सामने की तरफ एक गोल आकार का कोन होता है जो कागज, प्लास्टिक या किसी हल्की धातु से बना होता है। इसके पीछे एक लोहे का कुंडल लगा हुआ होता है। यह स्थायी चुंबक के ठीक आगे है।
विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र तब उत्पन्न होता है जब स्पीकर का तार एम्पलीफायर से जुड़ा होता है और उसे शक्ति दी जाती है। जिसके साथ वह coil को अपनी ओर खींचता है। और एम्पलीफायर के संकेत के अनुसार इसे बार-बार ड्रॉप करता है। जो कोइल के कंपन से ध्वनि उत्पन्न करता है।
प्रिंटर - Printer

printer
प्रिंटर एक ऑनलाइन आउटपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर से प्राप्त जानकारी को कागज पर प्रिंट करता है। कागज पर आउटपुट की इस कॉपी को हार्ड कॉपी कहा जाता है। कंप्यूटर से सूचना का उत्पादन बहुत तेज होता है। और प्रिंटर इतनी तेजी से काम नहीं कर सकता है, इसलिए आवश्यकता महसूस की गई कि जानकारी को प्रिंटर में ही संग्रहीत किया जा सकता है इसलिए प्रिंटर में एक मेमोरी होती है जहां से यह धीरे-धीरे परिणाम प्रिंट करता है।
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printer |
मदरबोर्ड - motherboard
मदरबोर्ड एक Printed Circuit Board (PCB) होता है. जिसे Logical Board, System Board, Printed Wired Board (PWB), और Mainboard (Mobo) के नाम से भी जाना जाता है.
मदरबोर्ड कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसमें सभी आवश्यक उपकरण जुड़े हुए हैं। इनमें CPU, RAM, HDD, Monitor, BIOS, CMOS, माउस, कीबोर्ड आदि डिवाइस शामिल हैं, जो डेडिकेटेड पोर्ट्स के माध्यम से जुड़े होते हैं। मदरबोर्ड इन उपकरणों को बिजली की आपूर्ति करता है और संचार को आपस में जोड़ता है।

motherboard
मदरबोर्ड एक प्लास्टिक शीट है जिसमें उपकरणों को जोड़ने के लिए अलग-अलग पोर्ट बनाए गई हैं। प्रत्येक पोर्ट का कनेक्शन मदरबोर्ड में मिलाप है। जिसे हम अपनी आँखों से भी देख सकते हैं।
मदरबोर्ड एक Printed Circuit Board (PCB) होता है. जिसे Logical Board, System Board, Printed Wired Board (PWB), और Mainboard (Mobo) के नाम से भी जाना जाता है.
मदरबोर्ड कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसमें सभी आवश्यक उपकरण जुड़े हुए हैं। इनमें CPU, RAM, HDD, Monitor, BIOS, CMOS, माउस, कीबोर्ड आदि डिवाइस शामिल हैं, जो डेडिकेटेड पोर्ट्स के माध्यम से जुड़े होते हैं। मदरबोर्ड इन उपकरणों को बिजली की आपूर्ति करता है और संचार को आपस में जोड़ता है।
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motherboard |
मदरबोर्ड एक प्लास्टिक शीट है जिसमें उपकरणों को जोड़ने के लिए अलग-अलग पोर्ट बनाए गई हैं। प्रत्येक पोर्ट का कनेक्शन मदरबोर्ड में मिलाप है। जिसे हम अपनी आँखों से भी देख सकते हैं।
सीपीयू - CPU
CPU का पूरा नाम है सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट जिसे प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर के रूप में भी जाना जाता है। यह कंप्यूटर का एक प्राथमिक घटक है और इसे अक्सर कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य कंप्यूटर को दिए गए निर्देशों को संसाधित करना है। कंप्यूटर पर किए गए कार्य और प्रक्रियाएं सीपीयू द्वारा एक या दूसरे तरीके से की जाती हैं। प्रौद्योगिकी की भाषा में CPU कंप्यूटर हार्डवेयर है जो सभी अंकगणितीय, तार्किक और इनपुट / आउटपुट संचालन को नियंत्रित करता है।
प्रत्येक ऑपरेशन या कार्य जो हम अपने कंप्यूटर पर करते हैं CPU द्वारा संसाधित किया जाता है। आइए समझने के लिए एक सरल उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि आप दो नंबर जोड़ने के लिए कंप्यूटर पर कैलकुलेटर का उपयोग करते हैं। तो इसके लिए आप सबसे पहले कीबोर्ड के माध्यम से उन नंबरों को दर्ज करेंगे। अब कीबोर्ड कंट्रोलर उस सूचना या डेटा को बाइनरी कोड (0 - 1) में बदल देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम पर काम करता है।

cpu processor
जब यह डेटा सीपीयू तक पहुंचता है तो इसमें मौजूद ALU (अंकगणितीय तार्किक इकाई) सभी गणितीय और तार्किक कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। इस नंबर को जोड़कर, परिणाम आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। तो कुल मिलाकर प्रोसेसर या सीपीयू सभी प्रक्रियाओं को निष्पादित करने के लिए जिम्मेदार है। अब जब सीपीयू पर इतना भार है तो यह अक्सर गर्म होता है। इस गर्मी से बचने के लिए सीपीयू पर कूलिंग फैन लगाया जाता है।
CPU को हिंदी में केंद्रीय प्रचालन तंत्र कहा जाता है
कंप्यूटर CPU में आपको मदरबोर्ड में CPU सॉकेट दिखाई देगा। यह देखने में एक चौकोर आकार की चिप है। जिसमें हजारों ट्रांजिस्टर की एक पतली परत होती है। इन ट्रांजिस्टर की मदद से प्रोसेसर को एक परिधीय उपकरण (कीबोर्ड, माउस आदि) या कंप्यूटर प्रोग्राम से इनपुट प्राप्त होता है और प्रसंस्करण के बाद यह आउटपुट डिवाइस को परिणाम भेजता है।
दुनिया का पहला सीपीयू 1970 में इंटेल द्वारा बनाया गया था। तब से इसके डिजाइन और कार्यान्वयन में कई बदलाव हुए हैं। लेकिन इसके मौलिक संचालन का मतलब है कि काम करने के तरीके में बहुत बदलाव नहीं है। कंप्यूटिंग शक्ति के संदर्भ में सीपीयू कंप्यूटर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। प्रोसेसर को महत्वपूर्ण बनाने में इसके घटकों का बहुत बड़ा योगदान है।
CPU का पूरा नाम है सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट जिसे प्रोसेसर या माइक्रोप्रोसेसर के रूप में भी जाना जाता है। यह कंप्यूटर का एक प्राथमिक घटक है और इसे अक्सर कंप्यूटर का मस्तिष्क भी कहा जाता है। इसका मुख्य कार्य कंप्यूटर को दिए गए निर्देशों को संसाधित करना है। कंप्यूटर पर किए गए कार्य और प्रक्रियाएं सीपीयू द्वारा एक या दूसरे तरीके से की जाती हैं। प्रौद्योगिकी की भाषा में CPU कंप्यूटर हार्डवेयर है जो सभी अंकगणितीय, तार्किक और इनपुट / आउटपुट संचालन को नियंत्रित करता है।
प्रत्येक ऑपरेशन या कार्य जो हम अपने कंप्यूटर पर करते हैं CPU द्वारा संसाधित किया जाता है। आइए समझने के लिए एक सरल उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए कि आप दो नंबर जोड़ने के लिए कंप्यूटर पर कैलकुलेटर का उपयोग करते हैं। तो इसके लिए आप सबसे पहले कीबोर्ड के माध्यम से उन नंबरों को दर्ज करेंगे। अब कीबोर्ड कंट्रोलर उस सूचना या डेटा को बाइनरी कोड (0 - 1) में बदल देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कंप्यूटर बाइनरी सिस्टम पर काम करता है।
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जब यह डेटा सीपीयू तक पहुंचता है तो इसमें मौजूद ALU (अंकगणितीय तार्किक इकाई) सभी गणितीय और तार्किक कार्यों के लिए जिम्मेदार होता है। इस नंबर को जोड़कर, परिणाम आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है। तो कुल मिलाकर प्रोसेसर या सीपीयू सभी प्रक्रियाओं को निष्पादित करने के लिए जिम्मेदार है। अब जब सीपीयू पर इतना भार है तो यह अक्सर गर्म होता है। इस गर्मी से बचने के लिए सीपीयू पर कूलिंग फैन लगाया जाता है।
CPU को हिंदी में केंद्रीय प्रचालन तंत्र कहा जाता है
कंप्यूटर CPU में आपको मदरबोर्ड में CPU सॉकेट दिखाई देगा। यह देखने में एक चौकोर आकार की चिप है। जिसमें हजारों ट्रांजिस्टर की एक पतली परत होती है। इन ट्रांजिस्टर की मदद से प्रोसेसर को एक परिधीय उपकरण (कीबोर्ड, माउस आदि) या कंप्यूटर प्रोग्राम से इनपुट प्राप्त होता है और प्रसंस्करण के बाद यह आउटपुट डिवाइस को परिणाम भेजता है।
दुनिया का पहला सीपीयू 1970 में इंटेल द्वारा बनाया गया था। तब से इसके डिजाइन और कार्यान्वयन में कई बदलाव हुए हैं। लेकिन इसके मौलिक संचालन का मतलब है कि काम करने के तरीके में बहुत बदलाव नहीं है। कंप्यूटिंग शक्ति के संदर्भ में सीपीयू कंप्यूटर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। प्रोसेसर को महत्वपूर्ण बनाने में इसके घटकों का बहुत बड़ा योगदान है।
RAM
यह कंप्यूटर सिस्टम को वर्चुअल स्पेस देता है ताकि वह किसी भी डेटा को मैनेज कर सके और समस्या को हल कर सके। यह स्कूल में ब्लैकबोर्ड की तरह काम करता है, जिसमें हम नोट्स, शब्द, संख्या और चित्र बनाते हैं।
जब बोर्ड भरा हो तो उनमें से अनावश्यक चीजों को मिटा दें और उन्हें फिर से लिखें। ब्लैकबोर्ड जितना बड़ा होगा उतना अधिक डेटा लिख सकता है। रैम भी उसी तरह से काम करती है जिसमें क्षमता के अनुसार कई ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह हर मोबाइल और कंप्यूटर सिस्टम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कंप्यूटर डेटा स्टोरेज का एक रूप है। रैम को हम प्राथमिक मेमोरी के रूप में भी जानते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो वोलेटाइल मेमोरी, मेन मेमोरी, फिजिकल मेमोरी हैं।

ram
जब भी हम वर्तमान समय में कंप्यूटर पर काम कर रहे होते हैं, तो RAM उस डेटा को स्टोर करके रखता है। लेकिन जब तक हम डेटा को सेकेंडरी स्टोरेज में सेव नहीं करते, तब तक इसे स्थायी रूप से स्टोर नहीं किया जाता है।
यदि काम करते समय बीच में बिजली खो जाती है, तो सारा डेटा खो जाता है। इसके लिए हमें वर्किंग फाइल को हार्ड डिस्क या पेन ड्राइव में सेव करना होगा।
डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए अधिक RAM की आवश्यकता होती है। आपने वीडियो मिक्सिंग सॉफ्टवेयर का नाम सुना होगा जो शादी और पार्टी वीडियो, या सॉलिड वर्क्स, कैटिया, और माया 3 डी को मिलाता है जो घर को खींचने और डिजाइन करने के लिए उपयोग किया जाता है, इसके लिए 6GB - 8GB RAM की आवश्यकता होती है।
इससे कम होने के कारण, 1 घंटे के काम में 10 घंटे लग सकते हैं। वैसे घर पर उपयोग की जाने वाली प्रणाली में, हम केवल 1GB - 4GB RAM का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह सामान्य उपयोग के लिए पर्याप्त है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं।
उदाहरण:-
मान लीजिए आप Microsoft Word या Excel में किसी फ़ाइल में काम कर रहे हैं और आपने इसमें 1000 शब्द लिखे हैं।
अब आपके सामने मेरा प्रश्न यह है कि आपने अब तक जो 1000 शब्द लिखे हैं, वे कहाँ संग्रहीत हैं, क्योंकि अभी तक आपने उस फाइल को अपनी हार्ड डिस्क ड्राइव में नहीं सहेजा है?
हां यह रैंडम एक्सेस मेमोरी में संग्रहित रहता है, लेकिन यह केवल कंप्यूटर या मोबाइल में पावर होने तक संग्रहीत किया जाता है या आप इस फाइल को बंद नहीं करते हैं।
अगर आपके काम के बीच बिजली खत्म हो जाएगी, तो आपका सारा डेटा भी चला जाएगा और मेहनत भी बेकार जाएगी।
इसीलिए यह सलाह दी जाती है कि यदि आप डेस्कटॉप का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको UPS (अबाधित विद्युत आपूर्तिकर्ता) का उपयोग करना चाहिए।
यह आपके कंप्यूटर सिस्टम को कुछ समय के लिए पावर देता रहेगा, जिसमें आप हार्ड डिस्क ड्राइव में किए गए काम को बचा पाएंगे।
RAM का फुल फॉर्म - "यादृच्छिक अभिगम स्मृति"
जब हम अपने फोन या कंप्यूटर पर एक साथ कई एप्लिकेशन खोलते और इस्तेमाल करते हैं, तो आपने देखा होगा कि फोन धीरे-धीरे काम करना शुरू कर देता है।
यही कारण है कि मोबाइल या कंप्यूटर की प्राथमिक मेमोरी में स्पेस का उपयोग किया जाता है। जब एप्लिकेशन बंद हो जाता है, तो कुछ जगह खो जाती है और मोबाइल फिर से अच्छी गति से चलने लगता है।
इसका मतलब आप यह समझ गए होंगे कि यदि आप एक साथ बहुत सारे ऐप का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपकी रैम अधिक होनी चाहिए।
यह कंप्यूटर सिस्टम को वर्चुअल स्पेस देता है ताकि वह किसी भी डेटा को मैनेज कर सके और समस्या को हल कर सके। यह स्कूल में ब्लैकबोर्ड की तरह काम करता है, जिसमें हम नोट्स, शब्द, संख्या और चित्र बनाते हैं।
जब बोर्ड भरा हो तो उनमें से अनावश्यक चीजों को मिटा दें और उन्हें फिर से लिखें। ब्लैकबोर्ड जितना बड़ा होगा उतना अधिक डेटा लिख सकता है। रैम भी उसी तरह से काम करती है जिसमें क्षमता के अनुसार कई ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह हर मोबाइल और कंप्यूटर सिस्टम का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह कंप्यूटर डेटा स्टोरेज का एक रूप है। रैम को हम प्राथमिक मेमोरी के रूप में भी जानते हैं। इसे अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो वोलेटाइल मेमोरी, मेन मेमोरी, फिजिकल मेमोरी हैं।
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जब भी हम वर्तमान समय में कंप्यूटर पर काम कर रहे होते हैं, तो RAM उस डेटा को स्टोर करके रखता है। लेकिन जब तक हम डेटा को सेकेंडरी स्टोरेज में सेव नहीं करते, तब तक इसे स्थायी रूप से स्टोर नहीं किया जाता है।
यदि काम करते समय बीच में बिजली खो जाती है, तो सारा डेटा खो जाता है। इसके लिए हमें वर्किंग फाइल को हार्ड डिस्क या पेन ड्राइव में सेव करना होगा।
डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर को चलाने के लिए अधिक RAM की आवश्यकता होती है। आपने वीडियो मिक्सिंग सॉफ्टवेयर का नाम सुना होगा जो शादी और पार्टी वीडियो, या सॉलिड वर्क्स, कैटिया, और माया 3 डी को मिलाता है जो घर को खींचने और डिजाइन करने के लिए उपयोग किया जाता है, इसके लिए 6GB - 8GB RAM की आवश्यकता होती है।
इससे कम होने के कारण, 1 घंटे के काम में 10 घंटे लग सकते हैं। वैसे घर पर उपयोग की जाने वाली प्रणाली में, हम केवल 1GB - 4GB RAM का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह सामान्य उपयोग के लिए पर्याप्त है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं।
उदाहरण:-
मान लीजिए आप Microsoft Word या Excel में किसी फ़ाइल में काम कर रहे हैं और आपने इसमें 1000 शब्द लिखे हैं।
अब आपके सामने मेरा प्रश्न यह है कि आपने अब तक जो 1000 शब्द लिखे हैं, वे कहाँ संग्रहीत हैं, क्योंकि अभी तक आपने उस फाइल को अपनी हार्ड डिस्क ड्राइव में नहीं सहेजा है?
हां यह रैंडम एक्सेस मेमोरी में संग्रहित रहता है, लेकिन यह केवल कंप्यूटर या मोबाइल में पावर होने तक संग्रहीत किया जाता है या आप इस फाइल को बंद नहीं करते हैं।
अगर आपके काम के बीच बिजली खत्म हो जाएगी, तो आपका सारा डेटा भी चला जाएगा और मेहनत भी बेकार जाएगी।
इसीलिए यह सलाह दी जाती है कि यदि आप डेस्कटॉप का उपयोग कर रहे हैं, तो आपको UPS (अबाधित विद्युत आपूर्तिकर्ता) का उपयोग करना चाहिए।
यह आपके कंप्यूटर सिस्टम को कुछ समय के लिए पावर देता रहेगा, जिसमें आप हार्ड डिस्क ड्राइव में किए गए काम को बचा पाएंगे।
RAM का फुल फॉर्म - "यादृच्छिक अभिगम स्मृति"
जब हम अपने फोन या कंप्यूटर पर एक साथ कई एप्लिकेशन खोलते और इस्तेमाल करते हैं, तो आपने देखा होगा कि फोन धीरे-धीरे काम करना शुरू कर देता है।
यही कारण है कि मोबाइल या कंप्यूटर की प्राथमिक मेमोरी में स्पेस का उपयोग किया जाता है। जब एप्लिकेशन बंद हो जाता है, तो कुछ जगह खो जाती है और मोबाइल फिर से अच्छी गति से चलने लगता है।
इसका मतलब आप यह समझ गए होंगे कि यदि आप एक साथ बहुत सारे ऐप का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपकी रैम अधिक होनी चाहिए।
एक्सपेनशन कार्ड - expansion card
एक्सपेनशन कार्ड एक प्रकार का कार्ड या एडेप्टर है जो कंप्यूटर की क्षमता बढ़ाने और कंप्यूटर की अनुकूलता बढ़ाने के लिए है। इसलिए हम एक्सपेनशन कार्ड का उपयोग करते हैं। सिस्टम की क्षमता बढ़ाने के लिए ये काफी उपयोगी माना जाता हैं।
इन दिनों आसानी से हटाए जाने वाले कार्ड भी आते हैं जिन्हें हम पोर्ट में जब चाहें हटा सकते हैं और इंस्टॉल कर सकते हैं और कुछ कार्ड मदरबोर्ड में भी आते हैं। कंप्यूटर सिस्टम में कई प्रकार के कार्ड का उपयोग किया जाता है। आइए एक्सपेनशन से जानते हैं उन कुछ कार्डों के बारे में।
एक्सपेनशन कार्ड के प्रकार (types of an expansion card in Hindi)
नेटवर्क कार्ड :- एक नेटवर्क कार्ड एक कंप्यूटर सिस्टम है जिसका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्क को इंटरनेट से जोड़ने के लिए किया जाता है, और कंप्यूटर के बीच संचार करने के लिए भी किया जाता है। नेटवर्क कार्ड को नेटवर्क एडॉप्टर और नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) भी कहा जाता है। एनआईसी कार्ड में नीचे की तरफ एक पिन होता है ताकि इसे एक्सपेनशन स्लॉट में रखा जा सके जो कि मदरबोर्ड में है। इसमें पीछे की तरफ RJ-45 नाम का एक पोर्ट है, जिसमें हम इसे LAN नेटवर्क से आसानी से कनेक्ट कर सकते हैं। एनआईसी कार्ड भी दो प्रकार के होते हैं, एक वायर्ड नेटवर्क के लिए और दूसरा वायरलेस नेटवर्क के लिए। वायर्ड नेटवर्क कार्ड में पीछे की तरफ एक पोर्ट होता है जबकि बिना तार के कार्ड में एंटीना होता है।

network card
वीडियो कार्ड :- यह कार्ड सिस्टम में चित्र, वीडियो आदि जैसे ग्राफिकल इंटरफ़ेस दिखाने का काम करता है। यह अधिक प्रसंस्करण की मदद से निर्देशों को ग्राफिक्स में परिवर्तित करके काम करता है। हम इसे ग्राफिक कार्ड और डिस्प्ले कार्ड भी कहते हैं। वीडियो कार्ड का अपना एक अलग प्रोसेसर है जो ऑपरेटिंग सिस्टम और मॉनिटर पर डिस्प्ले करने का एक साधन है। यह मदरबोर्ड के साथ नीचे की ओर पिंस की सहायता से जुड़ा हुआ है और इसमें बहुत अलग प्रकार के पोर्ट भी हैं जो बहुत सारे आउटपुट डिवाइस जैसे मॉनिटर, प्रोजेक्टर आदि को कनेक्ट करते हैं। वे बड़े डेटा स्लॉट जैसे पीसीआई स्लॉट और एजीपी से जुड़े होते हैं। स्लॉट्स। ये दोनों स्लॉट मदरबोर्ड में ही हैं और इन स्लॉट्स से जुड़े हैं।

video card
मोडेम :- मोडेम एक नेटवर्क कार्ड के समान है लेकिन यह पुरानी तकनीक से बना है। यह कंप्यूटर सिस्टम को इंटरनेट से जोड़ने के लिए एक टेलीफोन लाइन का उपयोग करता है। RJ-11 कनेक्टर के लिए, इसमें ज्यादातर दो पोर्ट होते हैं। पहले पोर्ट का उपयोग सिस्टम को टेलीफोन लाइन से जोड़ने के लिए किया जाता है और दूसरे का उपयोग टेलीफोन लाइन को जोड़ने के लिए किया जाता है। यह अपने सिस्टम की टेलीफोन लाइन के डिजिटल सिग्नल को एनालॉग सिग्नल में परिवर्तित करके काम करता है।
ऑडियो कार्ड :- ध्वनि के लिए ऑडियो संकेतों में विद्युत संकेतों को परिवर्तित करके ऑडियो कार्ड काम करता है ताकि हम उस ध्वनि को सुन सकें। ऑडियो कार्ड में विभिन्न प्रकार के पोर्ट और जैक जुड़े होते हैं जिनसे हम हेडफ़ोन, माइक्रोफोन, स्पीकर और अन्य डिजिटल ऑडियो डिवाइस कनेक्ट कर सकते हैं।
एक्सपेनशन कार्ड एक प्रकार का कार्ड या एडेप्टर है जो कंप्यूटर की क्षमता बढ़ाने और कंप्यूटर की अनुकूलता बढ़ाने के लिए है। इसलिए हम एक्सपेनशन कार्ड का उपयोग करते हैं। सिस्टम की क्षमता बढ़ाने के लिए ये काफी उपयोगी माना जाता हैं।
नेटवर्क कार्ड :- एक नेटवर्क कार्ड एक कंप्यूटर सिस्टम है जिसका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्क को इंटरनेट से जोड़ने के लिए किया जाता है, और कंप्यूटर के बीच संचार करने के लिए भी किया जाता है। नेटवर्क कार्ड को नेटवर्क एडॉप्टर और नेटवर्क इंटरफेस कार्ड (NIC) भी कहा जाता है। एनआईसी कार्ड में नीचे की तरफ एक पिन होता है ताकि इसे एक्सपेनशन स्लॉट में रखा जा सके जो कि मदरबोर्ड में है। इसमें पीछे की तरफ RJ-45 नाम का एक पोर्ट है, जिसमें हम इसे LAN नेटवर्क से आसानी से कनेक्ट कर सकते हैं। एनआईसी कार्ड भी दो प्रकार के होते हैं, एक वायर्ड नेटवर्क के लिए और दूसरा वायरलेस नेटवर्क के लिए। वायर्ड नेटवर्क कार्ड में पीछे की तरफ एक पोर्ट होता है जबकि बिना तार के कार्ड में एंटीना होता है।
वीडियो कार्ड :- यह कार्ड सिस्टम में चित्र, वीडियो आदि जैसे ग्राफिकल इंटरफ़ेस दिखाने का काम करता है। यह अधिक प्रसंस्करण की मदद से निर्देशों को ग्राफिक्स में परिवर्तित करके काम करता है। हम इसे ग्राफिक कार्ड और डिस्प्ले कार्ड भी कहते हैं। वीडियो कार्ड का अपना एक अलग प्रोसेसर है जो ऑपरेटिंग सिस्टम और मॉनिटर पर डिस्प्ले करने का एक साधन है। यह मदरबोर्ड के साथ नीचे की ओर पिंस की सहायता से जुड़ा हुआ है और इसमें बहुत अलग प्रकार के पोर्ट भी हैं जो बहुत सारे आउटपुट डिवाइस जैसे मॉनिटर, प्रोजेक्टर आदि को कनेक्ट करते हैं। वे बड़े डेटा स्लॉट जैसे पीसीआई स्लॉट और एजीपी से जुड़े होते हैं। स्लॉट्स। ये दोनों स्लॉट मदरबोर्ड में ही हैं और इन स्लॉट्स से जुड़े हैं।
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ऑडियो कार्ड :- ध्वनि के लिए ऑडियो संकेतों में विद्युत संकेतों को परिवर्तित करके ऑडियो कार्ड काम करता है ताकि हम उस ध्वनि को सुन सकें। ऑडियो कार्ड में विभिन्न प्रकार के पोर्ट और जैक जुड़े होते हैं जिनसे हम हेडफ़ोन, माइक्रोफोन, स्पीकर और अन्य डिजिटल ऑडियो डिवाइस कनेक्ट कर सकते हैं।
एसएमपीएस - SMPS
स्विच्ड मोड पावर सप्लाई या "एसएमपीएस" एक प्रकार की पावर सप्लाई यूनिट (पीएसयू) है, जो स्विचिंग डिवाइसेस का उपयोग करके अनियमित एसी या डीसी वोल्टेज को विनियमित डीसी में परिवर्तित करती है। SMPS बिजली के एक रूप को दूसरे रूप में परिवर्तित करने के लिए एक स्विचिंग रेगुलेटर का उपयोग करता है।
उदाहरण के लिए, हमारे घरों में आने वाली बिजली एक वैकल्पिक चालू (एसी) है। लेकिन कंप्यूटर जैसे संवेदनशील उपकरण को एक स्थिर और कुशल बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए, एसएमपीएस का उपयोग पीसी के विभिन्न घटकों को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है, जो एसी को स्थिर ऊर्जा में परिवर्तित करता है। हम इसे डायरेक्ट करंट (DC) कहते हैं।
SMPS को स्विचिंग मोड पावर सप्लाई भी कहा जाता है। इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में डायोड और MOSFETs का संयोजन शामिल होता है जैसे इंडक्टर, कैपेसिटर और सेमीकंडक्टर डिवाइस। एसएमपीएस का उपयोग लगभग हमारे सभी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बिजली की आपूर्ति के लिए किया जाता है।
कंप्यूटर में SMPS हार्डवेयर का एक टुकड़ा होता है, जिसे केस के अंदर बैक की तरह फिट किया जाता है। यदि आप कंप्यूटर खोलते हैं, तो आपको बैकसाइड पर टिन कैन दिखाई देगा। एक कंप्यूटर में, इसका काम रैम और मदरबोर्ड जैसे इसके विभिन्न भागों के लिए उपयोग करने योग्य शक्ति प्रदान करना है।
स्विच्ड मोड पावर सप्लाई या "एसएमपीएस" एक प्रकार की पावर सप्लाई यूनिट (पीएसयू) है, जो स्विचिंग डिवाइसेस का उपयोग करके अनियमित एसी या डीसी वोल्टेज को विनियमित डीसी में परिवर्तित करती है। SMPS बिजली के एक रूप को दूसरे रूप में परिवर्तित करने के लिए एक स्विचिंग रेगुलेटर का उपयोग करता है।
उदाहरण के लिए, हमारे घरों में आने वाली बिजली एक वैकल्पिक चालू (एसी) है। लेकिन कंप्यूटर जैसे संवेदनशील उपकरण को एक स्थिर और कुशल बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए, एसएमपीएस का उपयोग पीसी के विभिन्न घटकों को शक्ति प्रदान करने के लिए किया जाता है, जो एसी को स्थिर ऊर्जा में परिवर्तित करता है। हम इसे डायरेक्ट करंट (DC) कहते हैं।
SMPS को स्विचिंग मोड पावर सप्लाई भी कहा जाता है। इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में डायोड और MOSFETs का संयोजन शामिल होता है जैसे इंडक्टर, कैपेसिटर और सेमीकंडक्टर डिवाइस। एसएमपीएस का उपयोग लगभग हमारे सभी घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बिजली की आपूर्ति के लिए किया जाता है।
कंप्यूटर में SMPS हार्डवेयर का एक टुकड़ा होता है, जिसे केस के अंदर बैक की तरह फिट किया जाता है। यदि आप कंप्यूटर खोलते हैं, तो आपको बैकसाइड पर टिन कैन दिखाई देगा। एक कंप्यूटर में, इसका काम रैम और मदरबोर्ड जैसे इसके विभिन्न भागों के लिए उपयोग करने योग्य शक्ति प्रदान करना है।
हार्ड डिस्क ड्राइव - HDD
हार्ड डिस्क या HDD एक ही बात है। यह कंप्यूटर की परमानेंट मेमोरी है जिसका उपयोग हम अपने कंप्यूटर की सभी बड़ी फाइल्स को स्टोर करने के लिए करते हैं। हार्ड डिस्क को सबसे पहले आईबीएम कंपनी ने बनाया था जिसकी स्टोरेज क्षमता सिर्फ 5 एमबी थी और वजन लगभग 250 किलोग्राम था लेकिन समय के साथ इसमें कई बदलाव किए गए, जिसके परिणामस्वरूप आज हार्ड डिस्क का विकास हुआ।

HDD
हार्ड डिस्क के अंदर एक राउंड डिस्क होती है। जितनी तेजी से डिस्क घूमती है, उतनी ही तेजी से डाटास्टोर गति में होता है। हम हार्ड डिस्क की गति को RPM (क्रांति प्रति मिनट) में मापते हैं। अधिकांश हार्ड डिस्क 5400 RPM से 7200 RPM है। यह स्पष्ट है कि आरपीएम की हार्ड डिस्क एक ही गति से डेटा पढ़ेगी और लिखी जाएगी।
HDD का फ़ुल फ़ार्म - हार्ड डिस्क ड्राइव है।
हार्ड डिस्क या HDD एक ही बात है। यह कंप्यूटर की परमानेंट मेमोरी है जिसका उपयोग हम अपने कंप्यूटर की सभी बड़ी फाइल्स को स्टोर करने के लिए करते हैं। हार्ड डिस्क को सबसे पहले आईबीएम कंपनी ने बनाया था जिसकी स्टोरेज क्षमता सिर्फ 5 एमबी थी और वजन लगभग 250 किलोग्राम था लेकिन समय के साथ इसमें कई बदलाव किए गए, जिसके परिणामस्वरूप आज हार्ड डिस्क का विकास हुआ।
हार्ड डिस्क के अंदर एक राउंड डिस्क होती है। जितनी तेजी से डिस्क घूमती है, उतनी ही तेजी से डाटास्टोर गति में होता है। हम हार्ड डिस्क की गति को RPM (क्रांति प्रति मिनट) में मापते हैं। अधिकांश हार्ड डिस्क 5400 RPM से 7200 RPM है। यह स्पष्ट है कि आरपीएम की हार्ड डिस्क एक ही गति से डेटा पढ़ेगी और लिखी जाएगी।
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HDD |
HDD का फ़ुल फ़ार्म - हार्ड डिस्क ड्राइव है।
डीवीडी - DVD
DVD का पूरा नाम डिजिटल वीडियो डिस्क या डिजिटल बहुमुखी डिस्क है।
डीवीडी एक ऑप्टिकल डिस्क तकनीक है जिसका उपयोग बहुत बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
कुछ डीवीडी का उपयोग ऑडियो और वीडियो को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है जबकि कुछ डीवीडी का उपयोग सॉफ़्टवेयर और कंप्यूटर फ़ाइलों को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
इस डीवीडी को 1995 में पैनासोनिक, फिलिप्स और तोशिबा द्वारा विकसित किया गया था।
डीवीडी की भंडारण क्षमता 4.7 जीबी से 17.08 जीबी तक है। इसमें एक-तरफा, सिंगल-लेयर क्षमता 4.7 जीबी और सिंगल-साइडेड, डबल-लेयर की क्षमता 8.5 जीबी, डबल-साइडेड, सिंगल लेयर में 9.4 जीबी और डबल-साइडेड, डबल-लेयर है 17.08 जीबी की क्षमता। है।
डीवीडी सीडी की तुलना में अधिक मात्रा में डेटा स्टोर कर सकती है। और यह MPEG-2 संपीड़न का उपयोग करता है।
डीवीडी का वजन (वजन) 16 ग्राम (ग्राम) तक है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर फिल्मों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसमें, हम 2 घंटे की उच्च-गुणवत्ता वाली फिल्में संग्रहीत कर सकते हैं।
एक डीवीडी में कई परतें होती हैं जो प्लास्टिक से बनी होती हैं और प्रत्येक परत की मोटाई 1.2 मिमी (मिलीमीटर) होती है।
DVD का पूरा नाम डिजिटल वीडियो डिस्क या डिजिटल बहुमुखी डिस्क है।
डीवीडी एक ऑप्टिकल डिस्क तकनीक है जिसका उपयोग बहुत बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
कुछ डीवीडी का उपयोग ऑडियो और वीडियो को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है जबकि कुछ डीवीडी का उपयोग सॉफ़्टवेयर और कंप्यूटर फ़ाइलों को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
इस डीवीडी को 1995 में पैनासोनिक, फिलिप्स और तोशिबा द्वारा विकसित किया गया था।
डीवीडी की भंडारण क्षमता 4.7 जीबी से 17.08 जीबी तक है। इसमें एक-तरफा, सिंगल-लेयर क्षमता 4.7 जीबी और सिंगल-साइडेड, डबल-लेयर की क्षमता 8.5 जीबी, डबल-साइडेड, सिंगल लेयर में 9.4 जीबी और डबल-साइडेड, डबल-लेयर है 17.08 जीबी की क्षमता। है।
डीवीडी सीडी की तुलना में अधिक मात्रा में डेटा स्टोर कर सकती है। और यह MPEG-2 संपीड़न का उपयोग करता है।
डीवीडी का वजन (वजन) 16 ग्राम (ग्राम) तक है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर फिल्मों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसमें, हम 2 घंटे की उच्च-गुणवत्ता वाली फिल्में संग्रहीत कर सकते हैं।
एक डीवीडी में कई परतें होती हैं जो प्लास्टिक से बनी होती हैं और प्रत्येक परत की मोटाई 1.2 मिमी (मिलीमीटर) होती है।
सॉफ्टवेयर के प्रकार
विभिन्न प्रकार के सॉफ़्टवेयर हैं, जिन्हें हार्डवेयर और काम के बीच बातचीत के तौर-तरीकों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर :- यह सॉफ्टवेयर हार्डवेयर के साथ सीधे संपर्क स्थापित करके कंप्यूटर के संचालन की सुविधा प्रदान करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर में ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर और सिस्टम उपयोगिताओं शामिल हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण विंडोज, फेडोरा, लिनक्स, एंड्रॉइड, उबंटू हैं। इसी तरह, एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर, डिस्क कंप्रेशन और क्लीनर सॉफ़्टवेयर सिस्टम उपयोगिता सॉफ़्टवेयर के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा, डिवाइस ड्राइवर हैं, जिन्हें हार्डवेयर स्तर पर कुछ उपकरणों के नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
प्रोग्रामिंग टूल :- निर्देश को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाओं की मदद से लिखा जाता है क्योंकि प्रोग्रामर कंप्यूटर भाषा को नहीं समझता है, इसलिए इन निर्देशों को उच्च-स्तरीय भाषा में लिखा जा सकता है जिसे बाद में मशीन स्तर की भाषा में बदल दिया जाता है। इससे भाषा अनुवादक की आवश्यकता बढ़ जाती है। तो, इसमें C, C ++, Java, Python आदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज शामिल हैं। कोड एडिटर IDLE जैसे असेंबलर, कंपाइलर, और इंटरप्रेटर लैंग्वेज ट्रांसलेटर और प्रोग्राम डेवलपमेंट टूल्स पायथन के उदाहरण हैं।
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर :- एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के दो वेरिएंट हैं- सामान्य प्रयोजन सॉफ्टवेयर और अनुकूलित सॉफ्टवेयर। सामान्य कार्यों को करने के लिए सामान्य प्रयोजन के सॉफ्टवेयर का विकास किया गया है, उदाहरण के लिए, एमएस वर्ड एक सामान्य प्रयोजन सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग प्रत्येक उपयोगकर्ता करता है। दूसरी ओर, अनुकूलित सॉफ्टवेयर हैं, जो ग्राहक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जैसे कि लाइब्रेरी प्रबंधन सॉफ्टवेयर, खाता प्रबंधन सॉफ्टवेयर अनुकूलित सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं।
उदाहरण
ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे ubuntu, windows, mac os और अनुकूलित सॉफ्टवेयर जैसे MS Word, MS Powerpoint, Photoshop CC, GOM player, and browser (यानी, google chrome और Mozilla Firefox) सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं।
विभिन्न प्रकार के सॉफ़्टवेयर हैं, जिन्हें हार्डवेयर और काम के बीच बातचीत के तौर-तरीकों के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है।
सिस्टम सॉफ्टवेयर :- यह सॉफ्टवेयर हार्डवेयर के साथ सीधे संपर्क स्थापित करके कंप्यूटर के संचालन की सुविधा प्रदान करता है। सिस्टम सॉफ्टवेयर में ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर और सिस्टम उपयोगिताओं शामिल हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण विंडोज, फेडोरा, लिनक्स, एंड्रॉइड, उबंटू हैं। इसी तरह, एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर, डिस्क कंप्रेशन और क्लीनर सॉफ़्टवेयर सिस्टम उपयोगिता सॉफ़्टवेयर के अंतर्गत आते हैं। इसके अलावा, डिवाइस ड्राइवर हैं, जिन्हें हार्डवेयर स्तर पर कुछ उपकरणों के नियंत्रण, प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
प्रोग्रामिंग टूल :- निर्देश को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग भाषाओं की मदद से लिखा जाता है क्योंकि प्रोग्रामर कंप्यूटर भाषा को नहीं समझता है, इसलिए इन निर्देशों को उच्च-स्तरीय भाषा में लिखा जा सकता है जिसे बाद में मशीन स्तर की भाषा में बदल दिया जाता है। इससे भाषा अनुवादक की आवश्यकता बढ़ जाती है। तो, इसमें C, C ++, Java, Python आदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज शामिल हैं। कोड एडिटर IDLE जैसे असेंबलर, कंपाइलर, और इंटरप्रेटर लैंग्वेज ट्रांसलेटर और प्रोग्राम डेवलपमेंट टूल्स पायथन के उदाहरण हैं।
एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर :- एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर के दो वेरिएंट हैं- सामान्य प्रयोजन सॉफ्टवेयर और अनुकूलित सॉफ्टवेयर। सामान्य कार्यों को करने के लिए सामान्य प्रयोजन के सॉफ्टवेयर का विकास किया गया है, उदाहरण के लिए, एमएस वर्ड एक सामान्य प्रयोजन सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग प्रत्येक उपयोगकर्ता करता है। दूसरी ओर, अनुकूलित सॉफ्टवेयर हैं, जो ग्राहक की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जैसे कि लाइब्रेरी प्रबंधन सॉफ्टवेयर, खाता प्रबंधन सॉफ्टवेयर अनुकूलित सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं।
उदाहरण
ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे ubuntu, windows, mac os और अनुकूलित सॉफ्टवेयर जैसे MS Word, MS Powerpoint, Photoshop CC, GOM player, and browser (यानी, google chrome और Mozilla Firefox) सॉफ्टवेयर के कुछ उदाहरण हैं।
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच अंतर
* कंप्यूटर में हार्डवेयर एक ऐसी चीज़ है जिसे महसूस किया जा सकता है, छुआ जा सकता है और देखा जा सकता है। दूसरी ओर, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक सेट है जिसे हम देख सकते हैं, लेकिन यह मूर्त नहीं है।
* हार्डवेयर मशीन स्तर के कार्य करने के लिए अभिप्रेत है जबकि सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को निर्देश देता है।
* सॉफ्टवेयर को विभिन्न श्रेणियों जैसे सिस्टम, एप्लिकेशन और प्रोग्रामिंग के तहत वर्गीकृत किया जाता है। जबकि, हार्डवेयर निम्न प्रकार के होते हैं - इनपुट, आउटपुट, प्रोसेसिंग और स्टोरेज डिवाइस। इन उपकरणों के किसी भी भाग को हार्डवेयर भी कहा जाता है।
* CPU, UPS, कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, स्पीकर आदि जैसे हार्डवेयर होते हैं, जो आमतौर पर कंप्यूटर से जुड़े होते हैं। इसके विपरीत, विंडोज 8, फेडोरा, लिनक्स, माइक्रोसॉफ्ट फोटो, विंडोज मीडिया प्लेयर, आदि सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं।
* कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर घटक एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
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Conclusion
आपने इस पोस्ट में सीखा कि computer hardware क्या है? और कितने प्रकार के है। जिसके तहत हमने आपको कंप्यूटर हार्डवेयर के बारे में पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। तो उम्मीद है की आपको इस पोस्ट से बहुत कुछ पता चल गया होगा की कंप्यूटर हार्डवेयर क्या है? और कितने प्रकार के है। लेकिन अगर आपको इस पोस्ट में किसी भी जानकारी की कमी महसूस होती है या आपके पास इससे संबंधित कोई प्रश्न है। तो कृपया नीचे कमेन्ट करें और हमें बताएं। आपके सुझाव हमारे लिए बहुत मायने रखते हैं। धन्यबाद।
* कंप्यूटर में हार्डवेयर एक ऐसी चीज़ है जिसे महसूस किया जा सकता है, छुआ जा सकता है और देखा जा सकता है। दूसरी ओर, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का एक सेट है जिसे हम देख सकते हैं, लेकिन यह मूर्त नहीं है।
* हार्डवेयर मशीन स्तर के कार्य करने के लिए अभिप्रेत है जबकि सॉफ्टवेयर हार्डवेयर को निर्देश देता है।
* सॉफ्टवेयर को विभिन्न श्रेणियों जैसे सिस्टम, एप्लिकेशन और प्रोग्रामिंग के तहत वर्गीकृत किया जाता है। जबकि, हार्डवेयर निम्न प्रकार के होते हैं - इनपुट, आउटपुट, प्रोसेसिंग और स्टोरेज डिवाइस। इन उपकरणों के किसी भी भाग को हार्डवेयर भी कहा जाता है।
* CPU, UPS, कीबोर्ड, माउस, मॉनिटर, स्पीकर आदि जैसे हार्डवेयर होते हैं, जो आमतौर पर कंप्यूटर से जुड़े होते हैं। इसके विपरीत, विंडोज 8, फेडोरा, लिनक्स, माइक्रोसॉफ्ट फोटो, विंडोज मीडिया प्लेयर, आदि सॉफ्टवेयर के उदाहरण हैं।
* कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर घटक एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
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